15 Jun 2025, Sun

नंदा राजजात यात्रा 2026: हिमालय का महाकुंभ और परंपरा का महोत्सव

नंदा राजजात यात्रा 2026 केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि उत्तराखंड की संस्कृति, परंपरा और विरासत का प्रतीक भी माना जाता है। इस यात्रा को “हिमालय का कुंभ” भी कहा जाता है, क्युंकि इसका आयोजन हर 12 वर्षों मे एक बार होता है और इस यात्रा के पीछे कई पौराणिक, ऐतिहासिक और सामाजिक कारण छिपे हैं। “राजजात” दो शब्दों से मिलकर बना है—’राजा’ और ‘जात’। यहाँ “राजा” का तात्पर्य है देवी नंदा को उनके मायके (गढ़वाल) से उनके ससुराल (कुमाऊँ) तक की विदाई यात्रा और “जात” का मतलब है धार्मिक यात्रा या तीर्थयात्रा। इस यात्रा के दौरान देवी की डोली कई गांवों और तीर्थस्थलों से होकर गुजरती है, और हजारों श्रद्धालु उनके साथ इस दिव्य यात्रा का हिस्सा बनते हैं। यहा यात्रा लगभग 280 किलोमीटर से अधिक की है जो दुर्गम रास्तो से गुजरते हुए जाती है इस लिए यहा यात्रा भारत की सबसे कठिन धार्मिक यात्राओं में से एक है।नंदा देवी राजजात यात्रा में “खाडू” (चार सींगों वाला भेड़) का विशेष धार्मिक महत्व है। इसे देवी नंदा का दूत माना जाता है, जो पूरी यात्रा में श्रद्धालुओं के साथ चलता है और अंतिम पड़ाव होमकुंड में हिमालय की गोद में विलीन हो जाता है। मान्यता है कि खाडू के दर्शन और इसके साथ यात्रा करने से भक्तों को देवी का आशीर्वाद मिलता है और उनकी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

यात्रा का मार्ग और प्रमुख पड़ाव

नंदा राजजात यात्रा कुरुड़ गांव से शुरू होती है और कई धार्मिक तथा प्राकृतिक स्थलों से गुजरते हुए होमकुंड में समाप्त होती है। इस दौरान श्रद्धालु बेदनी बुग्याल, रूपकुंड और कैलवा विनायक जैसे कठिन मार्गों से होकर गुजरते हैं।

कुरुड़ और नौटी गांव – यहां से यात्रा का शुभारंभ होता है।

वाण गांव – यहां से देवी की डोली को मुख्य हिमालयी मार्ग पर आगे ले जाया जाता है।

बेदनी बुग्याल – हरे-भरे बुग्यालों से ढका यह स्थान नंदा देवी की महिमा का गवाह बनता है।

रूपकुंड और होमकुंड – यह यात्रा का अंतिम पड़ाव होता है, जहां देवी को हिमालय को समर्पित कर दिया जाता है।

नंदा राजजात यात्रा 2026

1 . यात्रा की संभावित तिथि और समय-सारणी

नंदा राजजात यात्रा की तिथि अभी घोषित नही हुई है लेकिन यह आमतौर पर भाद्रपद (अगस्त-सितंबर) महीने में शुरू होती है। यहा यात्रा लगभग 19-22 दिनों तक चलती है।

यात्रा की सही तिथियों की जानकारी के लिए कुछ महीने पहले आधिकारिक वेबसाइट या उत्तराखंड पर्यटन विभाग से संपर्क करें।

2. आयोजन में शामिल प्रमुख धार्मिक और प्रशासनिक संस्थाएँ

उत्तराखंड सरकार और पर्यटन विभाग – यात्रा की व्यवस्थाएँ और सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।

बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति – धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन करती है।

स्थानीय ग्राम पंचायत और प्रशासन – रास्ते में पड़ने वाले गाँवों में सुविधाएँ उपलब्ध कराते हैं।

वन विभाग और आपदा प्रबंधन टीम – पर्यावरण संरक्षण और आपातकालीन सहायता प्रदान करते हैं।

3. श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए नियम एवं दिशानिर्देश

पंजीकरण अनिवार्य: यात्रा में भाग लेने के लिए पहले से पंजीकरण कराना होगा।

स्वास्थ्य प्रमाण पत्र: कठिन पहाड़ी यात्रा होने के कारण डॉक्टर का फिटनेस सर्टिफिकेट जरूरी हो सकता है।

सुरक्षा नियम: प्रशासन द्वारा तय किए गए मार्गों का पालन करें और बिना अनुमति के खतरनाक रास्तों पर न जाएँ।

पर्यावरण संरक्षण: प्लास्टिक का उपयोग न करें और कचरा न फैलाएँ।

आयु सीमा: बुजुर्ग, छोटे बच्चे और अस्वस्थ व्यक्ति इस यात्रा से बचें, क्योंकि यह शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकती है।

4. यात्रा तक कैसे पहुँचे?

नंदा राजजात यात्रा की शुरुआत चमोली जिले के कुरुड़ गाँव से होती है। यहाँ पहुँचने के लिए आप विभिन्न शहरों से नीचे दिए गए मार्गों का उपयोग कर सकते हैं:

📍 दिल्ली से:

🚆 ट्रेन: दिल्ली से हरिद्वार या ऋषिकेश तक ट्रेन लें → फिर बस/टैक्सी से कर्णप्रयाग और कुरुड़ गाँव जाएँ।

🚌 बस: दिल्ली से सीधी बस ऋषिकेश, कर्णप्रयाग तक → फिर लोकल टैक्सी।

✈️ फ्लाइट: जॉली ग्रांट एयरपोर्ट (देहरादून) तक फ्लाइट → फिर सड़क मार्ग से यात्रा करें।

📍 देहरादून से:

🚗 टैक्सी/बस से ऋषिकेश → कर्णप्रयाग → कुरुड़ गाँव।

5. ठहरने की सुविधा (Stay Options)

यात्रा के दौरान रुकने के लिए सीमित होटल और गेस्ट हाउस होते हैं। मुख्य रूप से श्रद्धालुओं के लिए धर्मशालाएँ, टेंट, होमस्टे और अस्थायी शिविर बनाए जाते हैं।

कर्णप्रयाग, चमोली, गोपेश्वर: यहाँ पर होटल और धर्मशालाएँ उपलब्ध हैं।

नौटी, वाण, बेदनी बुग्याल: अस्थायी कैंपिंग और होमस्टे उपलब्ध होते हैं।

रूपकुंड, होमकुंड: केवल टेंट की सुविधा उपलब्ध रहती है।

👉 बुकिंग के लिए उत्तराखंड पर्यटन विभाग या स्थानीय गेस्ट हाउस से संपर्क करें।

6. यात्रा के लिए जरूरी तैयारी

जरूरी सामान: ऊनी कपड़े, वाटरप्रूफ जैकेट, मेडिकल किट, टॉर्च, ट्रेकिंग शूज़

खाने की सुविधा: यात्रा के दौरान लंगर और स्थानीय भोजन उपलब्ध होते हैं।


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